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जब भी इस पृथ्वी पर धर्म की हानि होती है प्रभु किसी न किसी रुप में अवतार लेकर धर्म की रक्षा करते हैं ःःअनुजशास्त्री

 

चित्रकूट ः18 अगस्त 2021 

"जब जब होई धरम की हानी,बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी"।"तब तब प्रभु धरि विविध शरीरा, हरहिं सदा सज्जन भव पीरा"। जब भी इस पृथ्वी पर दुष्टों के अत्याचारों से पाप का भार बढ़ जाता है और धर्म की हानि होने लगती है तभी प्रभु किसी न किसी रूप में अवतार लेकर दुष्टों का संहार करके धर्म की स्थापना करते हैं तथा गौ ,ब्राह्मण, संत और देवताओं की रक्षा करते है।विप्र ,धेनु ,सुर ,संत हित, लीन्ह मनुज अवतार। भगवान श्री कृष्ण ने गीता में स्वयं कहा है "यदा यदाहि धर्मस्य ग्लानिर्भवतिभारतः अभ्युत्थानम् धर्मस्य परित्राणाय साधुनाम् विनाशाय च दुष्कृताम् धर्म संस्थापनार्थाय ,संभवामि युगे युगे"। उपरोक्त व्याख्यान धर्म नगरी के कामदगिरि परिक्रमा मार्ग लक्ष्मी नारायण मंदिर भोला दास आश्रम के श्रावण झूला महोत्सव में चल रही श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ की संगीतमयी कथा के चौथे दिवस की कथा  कृष्ण जन्म महोत्सव का वर्णन करते हुए बालब्यास अनुज शास्त्री ने कहा। आज की कथा के प्रारंभ में अजामिल उपाख्यान सुनाते हुए बताया कि संतों के कहने से अजामिल जैसे दुष्ट, दुष्कर्मी जिसने कभी भगवान का नाम नहीं लिया था अपने पुत्र का नाम नारायण रख दिया और जब उसके मृत्यु का समय आया तो यमराज के दूतों को देखकर भय से अपने पुत्र नारायण का नाम लेकर चिल्लाने लगा और मरते समय नारायण नारायण बोलने के कारण यम दूतों की घोर नारकीय यातना से मुक्त होकर परम गति प्राप्त करके बैकुंठधाम को पहुंच गया श्री रामचरितमानस में पूज्य गोस्वामी तुलसीदास जी भी "लिखते हैं भाव कुभाव अनख आलसहूं ,नाम जपत मंगल दिसि दसहूं" प्रभु का नाम भाव से कुभाव से क्रोध से या आलस्य से कैसे भी लिया जाए वह मंगल करने वाला है ,उन्होंने उदाहरण देते हूए भगवन्नाम की महिमा बताया कि वस्तु शक्ति ज्ञान की अपेक्षा नहीं करती जिस प्रकार से हम जाने-अनजाने किसी भी परिस्थिति में बिजली का करंट या अग्नि को छू लेंगे तो वह यह नहीं देखेगा कि हम नहीं जानते कि इसमें करंट या दाह शक्ति है वह तो अपना प्रभाव करेगा इसी प्रकार भगवान की महिमा को न जानते हुए भी अगर लिया जाए तो वह कल्याण अवश्य करता है और अगर विश्वास हो फिर उनका सुमिरन करें तब तो कल्याण होने में किसी प्रकार का संदेह ही नहीं है। उन्होंने गोस्वामी तुलसीदास जी के ग्रंथ दोहावली से उद्धरित करते हुए दोहा सुनाया ,"एक भरोसो एक बल एक आस विश्वास, एक राम घनश्याम हित चातक तुलसीदास" आज के कथा प्रसंगों में वृत्तासुर की स्तुति, भक्त प्रहलाद चरित्र,हिरण्यकश्यप वध,गजेंद्र मोक्ष, देवासुर संग्राम, कच्छप अवतार,धनवंतरी अवतार, मोहिनी अवतार, राजा बलि की कथा वामन अवतार तथा सूर्यवंश का वर्णन विस्तार से सुनाया सूर्यवंश में राजा हरिश्चंद्र ,महाराज अंबरीष की कथा और राम जंन्म को बड़े ही भाव पूर्ण ढंग से सुना कर भक्तों को भावविभोर कर दिया ।इसके उपरांत चंद्र वंश का वर्णन करते हुए कंस के अत्याचार एवं देवकी के सात पुत्रों का उसके हाथों वध फिर भगवान श्री कृष्ण के जन्म की कथा अत्यंत सारगर्भित भाव से भक्तों को श्रवण कराया।

तथा कृष्ण जन्मोत्सव पूरे हर्षोल्लास के साथ मनाया गया सुमधुर बधाई गीतों पर भक्त झूमकर नाचते रहे तत्पश्चात श्रीमद् भागवत जी की आरती एवं प्रसाद वितरण कार्यक्रम संपन्न हुआ।आज की कथा में प्रमुख रुप से आचार्य नवलेश जी,महंत रामप्रपन्नाचार्य जी,समाजसेवी बालेंदु द्विवेदी,संत अशोकदास,अशोक त्रिपाठी पूर्व प्रधान पत्रकार,महंत राजेश्वरानंद बडा़ मलहरा,चंद्रिका शुक्ला सहित बडी़ संख्या में श्रोताओं ने भक्तिरस का आनंद लिया।

रिपोर्ट ः अशोक त्रिपाठी ब्यूरो चित्रकूट

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