आजादी से 75 वर्ष बाद भी सुमेरपुर कस्बे में नहीं हो सकी चकबंदी
⭕सुमेरपुर हमीरपुर। प्रमुख औद्योगिक नगर, सुमेरपुर के सर्वागीण विकास हेतु कस्बे की चकबंदी प्रक्रिया को अति शीघ्र प्रारम्भ करने की मांग मुख्यमंत्री को पत्र भेजकर की गई है।
समाज सेवी संजय त्रिपाठी ने मुख्यमंत्री, राज्यपाल, मुख्य सचिव और कमिश्नर बांदा को भेजे गए पत्र में कहा कि आजादी के 75 वर्ष बाद भी कस्बे की चकबंदी नही हो सकी है, चकबंदी से लघु किसानों के छोटी-जोत के खेत एक जगह पर हो जायेंगे तो समय और परिश्रम की बचत होगी। चकबंदी प्रक्रिया संपन्न होने से सबसे अधिक लाभ छोटी जोत वाले निर्धन किसानों को होगा और वे विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ेंगे तथा उनकी कृषि की आय में भी वृद्धि होगी साथ ही मुख्यमंत्री और मोदी सरकार का कृषकों की आय दोगुना करने का सपना सच होता दिखेगा। यह भी अवगत कराया कि आजादी के 75 वर्ष पूरे होने के बाद भी सुमेरपुर कस्बे में चकबंदी प्रक्रिया संपन्न न होने से यहाँ भूमाफियाओं ने तालाबों, पोखरों, राजकीय बंधी सहित 867 एकड ग्राम समाज की भूमि पर कब्जा कर रखा है, जिससे कस्बे में आने वाली योजनायें जिले में दूसरी जगह स्थान्तरित हो जाती है। चकबंदी के अभाव में 80 हजार जनसंख्या वाले कस्बे में प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का उच्चीकरण सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र CHC नहीं हो पा रहा है, जबकि हमीरपुर के छोटे कस्बों कुरारा, मुस्करा, छानी में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बने हुए हैं। सुमेरपुर में सीचसी न होने से लोगों को अपना इलाज कराने जिला अस्पताल जाना पड़ता है, जिससे अनावश्यक समय और धन की बर्बादी होती है। उन्होने सुमेरपुर कस्बे के 80 हजार नागरिकों के सर्वांगीण विकास हेतु धारा 4(2) का अति शीघ्र प्रकाशन कराकर चकबंदी की प्रक्रिया शीघ्र संपन्न कराने और तालाबों, पोखर राजकीय बंधी एवं 867 एकड़ ग्राम समाज की भूमि को भूमाफियाओं से मुक्त कराने की मांग की है।