मंयक शुक्ला श्यामसुंदर त्रिपाठी की रिपोर्ट
बांदा जनपद में जंहा कुछ सरकारी डॉक्टरों का विवादों से नाता जुड़ा रहता है वहीं मेडिकल कॉलेज बांदा के डाक्टर है जो अपनी म्रदुभाषी व्योहार से रोगियों एवं उनके तीमारदारी करने वाले परिजनों का मन मोह लेते हैं।
पीजीआई लखनऊ से स्थान्तरित होकर आए डाक्टर सोमेश तिवारी जो एक कुशल सर्जन है तो गुर्दा किडनी के विशेषज्ञ डॉ शैलेन्द्र कुमार सिंह यादव अपने रोगियों को स्वास्थ लाभ देते हैं उनके व्योहार से हर रोगी को लगता है कि हमारे यह बहुत खास है डिस्चार्ज रोगी को फोन तक में सुनते हुए उन्हें उचित मार्गदर्शन प्रदान करते हैं।व अपने सीनियर डाक्टर की मंशा अनुरूप उनका स्टाप भी रोगियों की सेवा में लगा रहता है जिस कारण उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैल रही है और बरबस लोग अपने मारीज को लेकर मेडिकल कॉलेज बांदा की तरफ खिंचे चले आते हैं।
वहीं मेडिकल कॉलेज की स्थित यह है की जंहा डाक्टर एवं उनका स्टाप रोगियों की सेवा में लगा रहता है वहीं रोगियों की तीमारदारी में लगे लोग अपनी पहचान हम बांदा के है सावित करने में पीछे नहीं रहते।वासबेसिन जंहा मुख को साफ किया जाता है वंहा उसे कूड़ादान बना दिया जाता है तीमारदारी कर रहे लोगों द्वारा बासबेसिन में दाल सब्जी डाल दी जाती है स्वच्छता घर में कबाड़ ठूंस दिया जाता है। जिससे स्वच्छता पंसद लोग परेशान हो जाते हैं। मौसमी
वायरल फीवर के चलते रोगियों का मेडिकल कॉलेज में तांता लगा रहता है ओपीडी में लंबी कतारें लगी रहती है उसी तरह ओपीडी में बैठ रहे डाक्टरों के यहां लगी भीड़ से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यंहा डाक्टर अपने धरती में प्राप्त भगवान के दर्जा को सार्थक कर रहे हैं।